मंगलवार, 15 जुलाई 2008

सिरोही जिले के प्रसिद्ध दर्शनीय स्थल.....


आबूपर्वत :- मुनि वशिष्ठ की गाय नंदनी खड्डे में गिर गई मुनि ने गाय को बहार निकलने हेतु सरस्वती नदी से सहायता मांगी इस पर खड्डे में पानी भर आया व् नंदनी तेरती हुई ऊपर आ गई यह खड्डा हमेशा के लिए सिर दर्द बना रहेगा अत: उन्होंने हिमालय से खड्डा भरने हेतु निवेदन किया इस पर हिमालय ने अपने छोटे लंगडे पुत्र नंदी वर्धन को खड्डा भरने की आज्ञा दी, नंदी वर्धन एक विशाल अर्बुद नाम सर्प के फन पर बैठकर गया एवं उसके भरने पर जो पर्वत खड़ा किया वह सर्प के नाम "अर्बुद " के नाम से पुकारा जाने लगा । (१) अचलगढ़ :- बस स्टेंड से लगभग ८ किलोमीटर दूर है । (२) गुरु शिखर :- यह राजस्थान की सबसे उची चोटी है यह ओरिया गाव से लगभग ५ किलोमीटर पर्वतीय चढाई पर ५६५० फिट पर है। (३) ट्रेवल ताल :- सन १८९४ में अंग्रजो ने इसका निर्माण करवाया था। यह देलवाडा के उत्तर में लगभग १.५० किलोमीटर घने जंगलो में अचलगढ़ मार्ग में स्थित है । (४) रसिया बालम कुआरी कन्या का मन्दिर :- यह मन्दिर देलवाडा के दक्षिण में स्थित है। (५) देलवाडा :- इ सन १०३१-१०८८ में एक व्यापारी ने बनाया था उस समय आबू (चन्द्रावती) पर परमार राजा धुन्धक का शासन था निर्माण लागत १९ करोड़ रुपये थी इ सन १३११ में मुसलिम आक्रान्ताओं ने इसे तोड़ डाला । (६) लावन सही :- सन १२३२ में इसका निर्माण सोलंकी राजा के महामंत्री वस्तुपाल और तेजपाल ने करवाया था। इसका रंग मंडप ४८ स्तंभों पर टिका हुआ है । (७)पित्तालाहर या भिमाशाह का मन्दिर :- प्रथम जेन तीर्थकर आदिनाथ का १०८ मन वजन की पीतल धातु की मूर्ति है। (८)वशिष्ठ आश्रम व् गोमुख :- गोमुख की और जाते हुए बिच में हनुमानजी का मन्दिर आता है जहा से लगभग ७००(सात सो) सिधिया उतरने पर निचे एक तलब है। जिसमे संगनारामर निर्मित गोमुख है । (९) अर्बुदा देवी का मन्दिर :- देलवाडा जाने वाले मार्ग पर स्थित है। दुधिया वाव से ४५० सिथिया ऊपर चढ़ने पर यह मन्दिर आता है। (१०) नक्खी झील :- यह झील लगभग ४०० गज लम्बी है जिसके किनारे पर्वतीय मेंथक के आकार की विशाल चठां है इसे "थोड-रोक कहते है । (११)सनसेट पॉइंट :- पोलो ग्राउंड के पश्चिम से पड़ी की और जाती सड़क के ऊपर की और यह स्थान स्थित है। (१२) पालन पुर पॉइंट :- सिरोही राज घराने की सुंदर कोठी के पास की पड़ी के ऊपर की और यह स्थान है। (१३) देवागंज :- सन सेट पॉइंट के निचे पर्वतीय थलन पर लगभग २ किलोमीटर यह स्थान स्थित है यहाँ पर नरसिंघावातार का मन्दिर है।

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